Tuesday, July 16, 2013

बेदाग मुहब्बत को अपने ख्वाबों में ढोया करता हूँ

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बेदाग मुहब्बत को अपने ख्वाबों में ढोया करता हूँ |
अहसास उफनते हैं इतने खुद से मैं सौदा करता हूँ |
कुछ बिक गए कुछ बिकने को कुछ आनाकानी करने लगे,
वो भूल गए इस कलयुग को ये रोज़ मैं बोला करता हूँ |

____________________हर्ष महाजन

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