Saturday, August 10, 2013

जब ज़ुल्फ़ गिरे यूँ रुख पे कभी बिखरे नरगिसी आँखों पर

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जब ज़ुल्फ़ गिरे यूँ रुख पे कभी बिखरे नरगिसी आँखों पर
इक लुत्फ़ सा शामिल होता है फिर तन्हा -तनहा पीने में |

________________________हर्ष महाजन

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