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जब ज़ुल्फ़ गिरे यूँ रुख पे कभी बिखरे नरगिसी आँखों पर
इक लुत्फ़ सा शामिल होता है फिर तन्हा -तनहा पीने में |
________________________हर्ष महाजन
जब ज़ुल्फ़ गिरे यूँ रुख पे कभी बिखरे नरगिसी आँखों पर
इक लुत्फ़ सा शामिल होता है फिर तन्हा -तनहा पीने में |
________________________हर्ष महाजन
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