...
मैं
तो अपने दर से बिछुड़ गया,
न सफ़र में था पर किधर गया |
यूँ ही करके खूँ अब भरोसे का,
वो गया, मगर न ज़हर गया |
मेरी भड़के आग तहरीरों में,
जाने अब कहाँ वो हुनर गया |
न है रंज मुझे न शिकन कोई ,
अब ख़्वाबों से भी ज़िकर गया |
था चिराग दिल में जो बुझ गया,
जो भी ज़हन में था फिकर गया |
________हर्ष महाजन |
न सफ़र में था पर किधर गया |
यूँ ही करके खूँ अब भरोसे का,
वो गया, मगर न ज़हर गया |
मेरी भड़के आग तहरीरों में,
जाने अब कहाँ वो हुनर गया |
न है रंज मुझे न शिकन कोई ,
अब ख़्वाबों से भी ज़िकर गया |
था चिराग दिल में जो बुझ गया,
जो भी ज़हन में था फिकर गया |
________हर्ष महाजन |
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