Wednesday, August 14, 2013

...आज़ाद हुआ मैं आज़ाद वतन ....


__________नज़्म__________


...आज़ाद हुआ मैं आज़ाद वतन ....

एक जहरीली सी भूल हुई शख्स से ,
हिन्दुस्ताँ का विभाजन कुछ रंग लाएगा |

कुछ इधर हो लिए, कुछ उधर हो लिए,
सोच कर चुप तिरंगा तो लहराएगा |


पर वो शख्स का वादा आवाम से था,
गर विभाजन हुआ, लाश से जाएगा |


पर वो बात भी झूठी , पता भी न था ,
अब लाशों में हर इक अपना आएगा |

बात उसने भी मानी थी आखिर मगर ,
ये विभाजन दुर्भाग्य ही कहलायेगा |


आखिर तू बता 'हर्ष' ये शख्स कौन,
जुबां पे कैसे तू उसका नाम आएगा |

आज ज़श्ने आज़ादी और हिन्द की ज़मीं,
हर शख्स मोहब्बत में रंग लाएगा |

यूँ तो आज़ाद हम और आज़ाद वतन,
'हर्ष' जन्म-दिन तेरा सब जग आएगा |
.................१५ अगस्त...............

__________हर्ष महाजन

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