Thursday, August 29, 2013

तू रिश्ता बन मेरे सीने में धड़का मगर तडपा गया

...

तू रिश्ता बन मेरे सीने में धड़का मगर तडपा गया,
महका किया बन गुलिस्ताँ अब जाने क्यूँ मुरझा गया |
जिन शहरों में मैखाने हैं, जिन हाथों में पैमाने हैं,
उनका सफ़र तन्हा लगे यही गम मुझे उलझा गया |

_____________________हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment