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ये कैसे उजड़ा अपनों का चमन देखते चलो,
शहीदों के पड़े हैं यहाँ क़फ़न देखते चलो ।
तज़ुर्बा हो गया था हमको भी निशानियों को देख
किसी की साज़िशों का अब ये फन देखते चलो ।
________________हर्ष महाजन
ये कैसे उजड़ा अपनों का चमन देखते चलो,
शहीदों के पड़े हैं यहाँ क़फ़न देखते चलो ।
तज़ुर्बा हो गया था हमको भी निशानियों को देख
किसी की साज़िशों का अब ये फन देखते चलो ।
________________हर्ष महाजन
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