…
विदा हुईं जो बेटियां तो दिल को लू गयीं,
परदेस क्या गयीं बाबुल की निकल रू गयी ।
खामोशियाँ जो छायीं थीं रुख्सती के वक़्त,
हलक के शब्द ला ज़ुबाँ पे दिल को छू गयीं ।
__________हर्ष महाजन
विदा हुईं जो बेटियां तो दिल को लू गयीं,
परदेस क्या गयीं बाबुल की निकल रू गयी ।
खामोशियाँ जो छायीं थीं रुख्सती के वक़्त,
हलक के शब्द ला ज़ुबाँ पे दिल को छू गयीं ।
__________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment