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देख तक़दीर मेरे अश्क़ों की बेहतर मुझसे,
मैं तो हूँ क़ैद छूटा अश्क़ों का है दर मुझसे ।
हसने की चाह में था दर्द उनसे से बांटा था ,
उसने तो मांग लिया मेरा ही अब घर मुझसे ।
____________हर्ष महाजन ।
देख तक़दीर मेरे अश्क़ों की बेहतर मुझसे,
मैं तो हूँ क़ैद छूटा अश्क़ों का है दर मुझसे ।
हसने की चाह में था दर्द उनसे से बांटा था ,
उसने तो मांग लिया मेरा ही अब घर मुझसे ।
____________हर्ष महाजन ।
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