Monday, May 19, 2014

आस्तीन के सांप कभी दर्शन खुद न देई

कुण्डलिनी छंद
----------------

...
आस्तीन के सांप कभी........दर्शन खुद न देई,
अंग अंग अपना कहे.......ज्यूँ इक वही स्नेही,
ज्यूँ इक वही स्नेही.....बाकि हर दुश्मन लागे,
समझ लगी जब बात, कटे तब तक सब धागे |
____________हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment