कुण्डलिनी छंद
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आस्तीन के सांप कभी........दर्शन खुद न देई,
अंग अंग अपना कहे.......ज्यूँ इक वही स्नेही,
ज्यूँ इक वही स्नेही.....बाकि हर दुश्मन लागे,
समझ लगी जब बात, कटे तब तक सब धागे |
अंग अंग अपना कहे.......ज्यूँ इक वही स्नेही,
ज्यूँ इक वही स्नेही.....बाकि हर दुश्मन लागे,
समझ लगी जब बात, कटे तब तक सब धागे |
____________हर्ष महाजन
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