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आँखों में लुत्फ़-ए-शराब वो, मेरी जिन्दगी की किताब वो,
बचपन से उठते सवाल का, हर ख़त में उसका जवाब वो |
महफ़िल में गर वो शबाब हैं तो कलम से हम आफताब हैं,
हर हुनर में गर हैं जुदा-जुदा, हर दिल में अब माहताब वो |
बचपन से उठते सवाल का, हर ख़त में उसका जवाब वो |
महफ़िल में गर वो शबाब हैं तो कलम से हम आफताब हैं,
हर हुनर में गर हैं जुदा-जुदा, हर दिल में अब माहताब वो |
________________हर्ष महाजन
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