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चुगली
चुगली
चुगली निकल ज़ुबान से, अदभुत खेल दिखाय,
रिश्तों में इंसान के, तुरत फेर पड़ जाय |
तुरत फेर पड़ जाए, करावे जंग दुतरफे,
सब भुजंग बन जांय , जु इक-इक जां को तरसे,
कहे 'हर्ष' दो पलट, चुगल-खोरों की गुगली,
इक-इक करके पकड़, झटक दो करे जु चुगली||
रिश्तों में इंसान के, तुरत फेर पड़ जाय |
तुरत फेर पड़ जाए, करावे जंग दुतरफे,
सब भुजंग बन जांय , जु इक-इक जां को तरसे,
कहे 'हर्ष' दो पलट, चुगल-खोरों की गुगली,
इक-इक करके पकड़, झटक दो करे जु चुगली||
हर्ष महाजन
कुण्डलिया छंद
पुराणी कृति
कुण्डलिया छंद
पुराणी कृति
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