उसकी याद में हम आजकल मशगूल हैं इतना
यहाँ तो सांस लेने की भी अब फुर्सत नहीं मिलती
दीदार-ए-यार कर लेते तो यादों में कहाँ होते
यकीनन ज़ुल्म की हद तक हमें ज़ुल्मत नहीं मिलती |
______________________हर्ष Mahajan
यहाँ तो सांस लेने की भी अब फुर्सत नहीं मिलती
दीदार-ए-यार कर लेते तो यादों में कहाँ होते
यकीनन ज़ुल्म की हद तक हमें ज़ुल्मत नहीं मिलती |
______________________हर्ष
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