तनहायी तबस्सुम लिए घूमती रही
जुदायी राज़ इसके सभी दूंद्ती रही
मुहब्बत का 'हर्ष' यही अंजाम होता है
रात लबालब आंसू लिए झूमती रही |
__________हर्ष महाजन
जुदायी राज़ इसके सभी दूंद्ती रही
मुहब्बत का 'हर्ष' यही अंजाम होता है
रात लबालब आंसू लिए झूमती रही |
__________हर्ष महाजन
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