Sunday, November 6, 2011

कितने अज़ीअत से

कितने अज़ीअत से मैंने तुझे अपने दिल में पनाह दी
तुमने कोई भी कसर नहीं छोडी ज़हरीले गुनाह की |

____________________हर्ष महाजन

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