ऐ खुदा तेरे शहर में इंसान न मिलेगा
रावण को मार सके तीर-कमान न मिलेगा |
बिकेगा सब ईमान ज़ब्त होगी वफ़ा भी
इंसान के इस शहर में इन्सान न मिलेगा |
हमने तलाश-ए-यार में बितायी उम्र ये,
मालूम न था यार क्या बे-ईमान न मिलेगा |
ये उम्र इसी हाल में कट जायेगी शायद
अब दर्द में जीने का सामान न मिलेगा |
ऐ खुदा तेरे बन्दों का क़त्ल इस तरह होगा,
दफनाने को ज़मीं पे कब्रीस्तान न मिलेगा |
सोचा तेरे शहर में तुझ सा ही मिलेगा
न अश्क तेरी आँखों में तूफ़ान न मिलेगा |
___________हर्ष महाजन
रावण को मार सके तीर-कमान न मिलेगा |
बिकेगा सब ईमान ज़ब्त होगी वफ़ा भी
इंसान के इस शहर में इन्सान न मिलेगा |
हमने तलाश-ए-यार में बितायी उम्र ये,
मालूम न था यार क्या बे-ईमान न मिलेगा |
ये उम्र इसी हाल में कट जायेगी शायद
अब दर्द में जीने का सामान न मिलेगा |
ऐ खुदा तेरे बन्दों का क़त्ल इस तरह होगा,
दफनाने को ज़मीं पे कब्रीस्तान न मिलेगा |
सोचा तेरे शहर में तुझ सा ही मिलेगा
न अश्क तेरी आँखों में तूफ़ान न मिलेगा |
___________हर्ष महाजन
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