मेरे गुरु जी को समर्पित एक छोटा सा अहसास ..... छोटे से मुक्तक की राह से
..
शागिर्द बनूँगा तेरा शागिर्द बनूँगा,
होगी न ऐसी बात के संदिग्द बनूँगा ।
कलम से तेरी जब भी कोई हर्फ़ चलेंगे,
वो सब कही किताबों की मैं जिल्द बनूँगा ।
________________हर्ष महाजन ।
कलम से तेरी जब भी कोई हर्फ़ चलेंगे,
वो सब कही किताबों की मैं जिल्द बनूँगा ।
________________हर्ष महाजन ।
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