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कुछ दिखा दो ऐसा जौहर,कि मेरी अब वो मुरीद हो,
वो जो मिलती रोज़ सर-ए-राह मेरी अब वो मरीज़ हो ।
वह्शातें सह ली है मैंने इस ज़माने की बहुत,
इसमें है क्या गुनाह, मांगू मेरे अब वो करीब हो ।।
_____________________हर्ष महाजन ।
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kuch dikha do aisa johar, merii ab wo mureed ho,
Wo jo milti roz sar-e-raah merii ab wo mareez ho.
wehhsateN seh lii hai maine is zamaane ki bahut
isme hai kya gunah ke maangu mere ab wo qareeb ho.
_____________________Harash mahajan
कुछ दिखा दो ऐसा जौहर,कि मेरी अब वो मुरीद हो,
वो जो मिलती रोज़ सर-ए-राह मेरी अब वो मरीज़ हो ।
वह्शातें सह ली है मैंने इस ज़माने की बहुत,
इसमें है क्या गुनाह, मांगू मेरे अब वो करीब हो ।।
_____________________हर्ष महाजन ।
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kuch dikha do aisa johar, merii ab wo mureed ho,
Wo jo milti roz sar-e-raah merii ab wo mareez ho.
wehhsateN seh lii hai maine is zamaane ki bahut
isme hai kya gunah ke maangu mere ab wo qareeb ho.
_____________________Harash mahajan
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