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ना ये दिग्गजों से सीखा ना रहबरों से सीखा
ये इश्क-ए-जिंदगानी तेरी ठोकरों से सीखा ।
इस इल्म की ही खातिर मै था शायरी में डूबा
पर तू इल्जाम दिए है ये सब कायरों से सीखा ।
_______________हर्ष महाजन ।
ना ये दिग्गजों से सीखा ना रहबरों से सीखा
ये इश्क-ए-जिंदगानी तेरी ठोकरों से सीखा ।
इस इल्म की ही खातिर मै था शायरी में डूबा
पर तू इल्जाम दिए है ये सब कायरों से सीखा ।
_______________हर्ष महाजन ।
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