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अब बे-वफा जो हैं सभी साहिलों पे रुके हैं
देते जो ठंडी छाँव शजर राहों पे झुके हैं,
महफूज़ हैं वो दिल सभी जो इश्क से परे
ये पत्थरों से दिल जो हैं आईनों पे टिके हैं ।
_______________हर्ष महाजन ।
अब बे-वफा जो हैं सभी साहिलों पे रुके हैं
देते जो ठंडी छाँव शजर राहों पे झुके हैं,
महफूज़ हैं वो दिल सभी जो इश्क से परे
ये पत्थरों से दिल जो हैं आईनों पे टिके हैं ।
_______________हर्ष महाजन ।
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