Wednesday, September 18, 2013

मुद्दतों बाद पायी है अब ज़हन में कतार आतिश-ए-इश्क की


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मुद्दतों बाद पायी है अब ज़हन में कतार आतिश-ए-इश्क की,
किस से पूछूं परवाज़, मेरी ज़िन्दगी का मरकज़ तू ही तो है | 

_____________________हर्ष महाजन 


परवाज़=उड़ान/बुलंदियां 
मरकज़= केन्द्र बिन्दु

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