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आओ वक़्त को जी के देखें दर्द की चादर सी के देखें,
छलकती है आँख से मय जो होंटों से अब पी के देखें |
ज़ख्म कुछ संग छोड़ गए हैं कुछ को हम भी भूल गए,
कुछ जो दिल नासूर किये हैं आओ उन संग जी के देखें |
कश्ती दिल की बीच समंदर गम भंवर बन खींच रहे हैं,
डोर वफ़ा की माझी संग अब कहे तो नफरत सी के देखें |
________हर्ष महाजन
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