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शबाब-ए-हुस्न का मुझको भी कोई अंदाजा न था,
वरना शिकवे-ओ-शिकायत की भी गुंजाईश न थी |
मेरी तहरीरों ने पलकों को भी कभी नम न किया ,
आज दरिया की तरह अश्कों की पैमाईश न थी |
___________________हर्ष महाजन
शबाब-ए-हुस्न का मुझको भी कोई अंदाजा न था,
वरना शिकवे-ओ-शिकायत की भी गुंजाईश न थी |
मेरी तहरीरों ने पलकों को भी कभी नम न किया ,
आज दरिया की तरह अश्कों की पैमाईश न थी |
___________________हर्ष महाजन
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