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बिखरे रिश्तों की दरारें अब मिटाऊं कैसे,
मोम के रिश्ते.....गर्मियों से बचाऊँ कैसे |
इतना घुला है ज़हर उसके जहन में 'हर्ष',
अपने हाथों की लकीरें उसे दिखाऊँ कैसे |
_________हर्ष महाजन
बिखरे रिश्तों की दरारें अब मिटाऊं कैसे,
मोम के रिश्ते.....गर्मियों से बचाऊँ कैसे |
इतना घुला है ज़हर उसके जहन में 'हर्ष',
अपने हाथों की लकीरें उसे दिखाऊँ कैसे |
_________हर्ष महाजन
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