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दरमियाँ आँखों के जब......दुनियाँ जवाँ होती है,
पर ये उल्फत है जो.......लफ़्ज़ों में बयाँ होती हैं |
पर ये उल्फत है जो.......लफ़्ज़ों में बयाँ होती हैं |
ये जुबां आँखों की,नफरत की जगह ले ले अगर,
फिर ये ज़ुल्मत तो.....फिजाओं में अयाँ होती है |
जब भी आँखों में नमीं.....का ही समां रहने लगे,
दिल में कोई ज़ख्म.....मुहब्बत भी वहाँ होती है |
जब भी आँखों से टपकते......कभी हिज़्र के आंसू ,
फिर यकीनन कोई............तस्वीर जवाँ होती है |
हमने भी आँखों को...पढने का हुनर सीख लिया,
हर अदा इनकी............निराली ही जुबां होती है |
________________हर्ष महाजन
फिर ये ज़ुल्मत तो.....फिजाओं में अयाँ होती है |
जब भी आँखों में नमीं.....का ही समां रहने लगे,
दिल में कोई ज़ख्म.....मुहब्बत भी वहाँ होती है |
जब भी आँखों से टपकते......कभी हिज़्र के आंसू ,
फिर यकीनन कोई............तस्वीर जवाँ होती है |
हमने भी आँखों को...पढने का हुनर सीख लिया,
हर अदा इनकी............निराली ही जुबां होती है |
________________हर्ष महाजन
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