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लोग तो खुशियाँ और.... इमदाद बाँटते हैं,
हम तो कवि हैं....गम में भी दाद बाँटते हैं |
ज़रूरी नहीं कि......मौत पर रोया ही जाए,
हम ग़ज़लों में अश्कों का सैलाब बाँटते हैं |
हम तो कवि हैं....गम में भी दाद बाँटते हैं |
ज़रूरी नहीं कि......मौत पर रोया ही जाए,
हम ग़ज़लों में अश्कों का सैलाब बाँटते हैं |
________हर्ष महाजन
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