मैं भयानक कवितायें पढ़ने लगा हूँ
पर अपने साये से भी डरने लगा हूँ |
है कोई खुदा यहाँ जो मुझे उठा सके
मैं अमर हूँ अहसास करने लगा हूँ |
इशारों पर चलना समझदारी तो नहीं
पर मैं तो नींद में भी चलने लगा हूँ |
प्यार में हद से गुजर जाना ठीक नहीं
मैं खुद किसी की आँखों में पलने लगा हूँ |
मुश्किल से उसको दर्द में हसाया मैंने
मैं खुद अब उस दर्द से गुजरने लगा हूँ |
__________हर्ष महाजन
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