गर हर शख्स के लिए खुशिओं की दूकान होती
यकीनन ये खुशीआं कुछ दिन की मेहमान होती
कीमत तो घट ही जाती हर चीज़ की दुनिया में
मगर हर रूह की झोली इस जहां में वीरान होती |
_________हर्ष महाजन
यकीनन ये खुशीआं कुछ दिन की मेहमान होती
कीमत तो घट ही जाती हर चीज़ की दुनिया में
मगर हर रूह की झोली इस जहां में वीरान होती |
_________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment