आज नहीं तो कल सब बदल जाएगा
घर
को लगी आग तो सब जल जाएगा।
गिर के संभलना इंसा की फितरत है मगर
नज़रों से गिरा कभी न संभल पायेगा |
दर्द है तो छिपाओ न इसे दुनियां से
इस भूल पर वो इक दिन पछतायेगा |
न करो प्यार इतना के पछताना पड़े
सब कुछ लुटा के बे-वफ़ा कहलायेगा |
अनजान राहों में चलना समझ-दारी नहीं
लगी ठोकर तो कभी न संभल पायेगा |
हर्ष महाजन
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