__________गज़लिका
अनजान सी जब गुजरी थोड़ी सी तब गुजरी
हद से तो तब गुजरी वो जिंद से जब गुजरी |
आँखों में काजल था और बालों में संदल था
बे-मौत मारा गया जाने ख़्वाब से कब गुजरी |
कल रात वो ख्वाबों में नागिन बन डंसती रही
अब तक न कोई जिंद में ऐसी कोई शब् गुजरी |
जब यादों को भूला मैं नए साजों पे झूला मैं
वो गैरों को छोड़ आयी अब खुद पर जब गुजरी |
न ज़ुल्म करो इतना खत लिख न सको जितना
दुनिया छोड़ "हर्ष" चला हद से जब गुजरी |
______हर्ष महाजन
अनजान सी जब गुजरी थोड़ी सी तब गुजरी
हद से तो तब गुजरी वो जिंद से जब गुजरी |
आँखों में काजल था और बालों में संदल था
बे-मौत मारा गया जाने ख़्वाब से कब गुजरी |
कल रात वो ख्वाबों में नागिन बन डंसती रही
अब तक न कोई जिंद में ऐसी कोई शब् गुजरी |
जब यादों को भूला मैं नए साजों पे झूला मैं
वो गैरों को छोड़ आयी अब खुद पर जब गुजरी |
न ज़ुल्म करो इतना खत लिख न सको जितना
दुनिया छोड़ "हर्ष" चला हद से जब गुजरी |
______हर्ष महाजन
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