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साँसों पे इतना गरूर न करो 'हर्ष' के बे-वफायी पे उतर आयें
इश्क जब रुलाने पे आता है तो अपनी हद्द से गुजर जाता है ।
______________________________ _हर्ष महाजन
साँसों पे इतना गरूर न करो 'हर्ष' के बे-वफायी पे उतर आयें
इश्क जब रुलाने पे आता है तो अपनी हद्द से गुजर जाता है ।
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