Saturday, May 4, 2013

जो तसव्वुर में मेरे कोई अक्सर यूँ घूमती है

...

जो तसव्वुर में मेरे कोई अक्सर यूँ घूमती है,
मेरे तन्हा पड़े इस दिल में धड़कन को ढूँढती है |
मेरी इल्तजा है उनसे इन गलियों से न गुजरें ,
मेरे तन बदन में सिहरन बिजली की गूंजती है |

___________________हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment