...
इंतज़ार अब इस कदर महसूस होने लगा,
अपना वजूद भी साहिल पर खोने लगा |
ये सतयुग नहीं जो ज़िंदगी यूँ ही बाँधी जाए,
कलयुग है हर सुंदर लहर पर दिल मोहने लगा |
______________हर्ष महाजन
इंतज़ार अब इस कदर महसूस होने लगा,
अपना वजूद भी साहिल पर खोने लगा |
ये सतयुग नहीं जो ज़िंदगी यूँ ही बाँधी जाए,
कलयुग है हर सुंदर लहर पर दिल मोहने लगा |
______________हर्ष महाजन
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