..
उसकी नज़र से यूँ गिरा परेशान हो गया
खामोशी से इक फासला दरम्यान हो गया |
दीया जो जल रहा था यहाँ बुझ रहा है आज
इक झोंका जो हवा का था तूफ़ान हो गया |
जुबां पे शिकवे रंज-ओ-अलम फलक को छू गए
दिल का खुदा था अब तलक,मेहमान हो गया |
जिसका था सर बुलंद यहाँ रिश्ते की नोक पर
तोहमत भी इस अंदाज़ से, बे-ईमान हो गया |
वफ़ा के रास्तों पे कभी थकते नहीं थे हम
इन कातिलों के शहर में अनजान हो गया |
टुकड़ों में जी रहा हूँ मगर अहसास जिंदा हैं,
उनको किया क़त्ल तो मैं इंसान हो गया |
अपनी खुददारी पे था मुझे नाज़ बहुत मगर ,
हालात यूँ बने कि 'हर्ष' कुर्बान हो गया |
________________हर्ष महाजन
इक झोंका जो हवा का था तूफ़ान हो गया |
जुबां पे शिकवे रंज-ओ-अलम फलक को छू गए
दिल का खुदा था अब तलक,मेहमान हो गया |
जिसका था सर बुलंद यहाँ रिश्ते की नोक पर
तोहमत भी इस अंदाज़ से, बे-ईमान हो गया |
वफ़ा के रास्तों पे कभी थकते नहीं थे हम
इन कातिलों के शहर में अनजान हो गया |
टुकड़ों में जी रहा हूँ मगर अहसास जिंदा हैं,
उनको किया क़त्ल तो मैं इंसान हो गया |
अपनी खुददारी पे था मुझे नाज़ बहुत मगर ,
हालात यूँ बने कि 'हर्ष' कुर्बान हो गया |
________________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment