Friday, September 7, 2012

मेरे हालात पे बस आज तो कोई नज़र रख लो


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मेरे हालात पे बस आज तो कोई नज़र रख लो,
कि जिंदा हूँ कि मुर्दा हूँ यहाँ कोई खबर रख लो |

छुपा है दिल में जो उसके हवाएं सब उगलती हैं,
हवाओं से मुखातिब हूँ कि कुछ धीमा सफ़र रख लो |

बचा गुलशन खिज़ाओं का बचे कुछ फूल डालों पर,
बुझाए प्यास जो धारा यहाँ ऐसा असर रख लो |

फ़िराक-ए-यार ने बक्शे हैं मुझको अश्क अब इतने,
कि अब दिल को सुलगती आग पे आठों पहर रख लो |

तमन्ना थी ज़नाज़ा ये उठे कूचे से यूँ उनके,
कि उनको इल्तजा करलूँ कि कुछ यादें-गुज़र रख लो |

____________________हर्ष महाजन |

फ़िराक-ए-यार=यार की जुदाई

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