Friday, September 14, 2012

मुझे अनजान मत समझो मेरी पहचान रहने दो

एक गीत हिन्दी दिवस पर........अप सभी साहित्यक कवियों के हवाले .......
हिंदी दिवस पर सभी को शुभ-कामनाएं...
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मुझे अनजान मत समझो मेरी पहचान रहने दो,
मैं हूँ आसान संग रक्खो ये इक एहसान रहने दो |
मैं बिंदी हूँ इस भारत की किताबों में तो रहने दो,
मैं हिन्दुस्तान की भाषा हूँ हिन्दुस्तान में रहने दो |
मुझे अनजान मत समझो ..................

मैं नत-मस्तक हूँ जयसिंह की इक पहचान दिया उसने
ये भाषा लाखों में चुन कर मुझे हिंद्दुस्तान दिया उसने |
मेरे माथे पे लगा बिंदी का इक अहसान रहने दो ,
करोड़ों हाथों में यूँ सौंप मेरा इनाम रहने दो |
मुझे अनजान मत समझो ................

मुझे छंदों में तुम बदलो मुझे दोहों में भी चख लो
मुझे ग़ज़लों से भी तोलो मुझे संगीत में रख लो |
मैं हूँ गागर में सागर अब मुझे नदिया सा बहने दो,
मुझे हक है मुझे भारत की सही पहचान रहने दो |
मुझे अनजान मत समझो ................

मुझे अंग्रेजो ने कमतर मुझे अपनों ने मारा है
उठी लाठी से फिर भी मैं देखा घुटनों तक गारा है |
मिले इंसान कुछ ऐसे इसे मात्रभाषा कहने दो
अब हिन्दुस्तान की जग में यही पहचान रहने दो |
मुझे अनजान मत समझो ................

यहाँ नेता हैं कुछ ऐसे हिंदी का विकास लायेंगे
हिंदी को अंग्रेज़ी में लिख कर हिंदी दिवस मनाएंगे |
उनके अंग्रेजी के भाषण कोई कहे उनको रहने दो
हिंदी को हिंदी दिवस पे तो सहित्यक मंच तक रहने दो |
मुझे अनजान मत समझो ................

____________________हर्ष महाजन

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