Friday, September 7, 2012

चंद लफ़्ज़ों का सफ़र है प्यार का किस्सा मेरा,

..

चंद लफ़्ज़ों का सफ़र है प्यार का किस्सा मेरा,
कुछ कटा है कुछ कटेगा ज़िन्द का हिस्सा मेरा |
ज़ख्म इस गर्म-ए-सफ़र में सह लिए हैं बहुत मगर,
लैला,मजनू,साहिबां,मिर्जा से कम नहीं किस्सा मेरा |

_________________हर्ष महाजन |

 Garm-e-safar=Safar ki utsukta ...सफ़र की उत्सुकता |

No comments:

Post a Comment