..
वो दोस्त था जो दोस्ती से खुद चला गया,
मुद्दत से जो निभाया वो रिश्ता चला गया ।
खामोश हो गया है जहाँ मुझ नसीब का,
अब मेरी ज़िन्दगी से फ़रिश्ता चला गया ।
आता सभी पे वक़्त कभी अच्छा हो या बुरा
वो नज़र से यूँ गिरा के वो गिरता चला गया ।
जुदा हुआ हूँ दोस्त से पर खौफ मौत का,
मायूस होके मेरा ये दिल चिरता चला गया ।
अब छा रहा माहौल पे अँधेरा यूँ बे-सबब,
बिछुड़ने के गम से 'हर्ष' बिखरता चला गया ।
___________हर्ष महाजन ।
वो दोस्त था जो दोस्ती से खुद चला गया,
मुद्दत से जो निभाया वो रिश्ता चला गया ।
खामोश हो गया है जहाँ मुझ नसीब का,
अब मेरी ज़िन्दगी से फ़रिश्ता चला गया ।
आता सभी पे वक़्त कभी अच्छा हो या बुरा
वो नज़र से यूँ गिरा के वो गिरता चला गया ।
जुदा हुआ हूँ दोस्त से पर खौफ मौत का,
मायूस होके मेरा ये दिल चिरता चला गया ।
अब छा रहा माहौल पे अँधेरा यूँ बे-सबब,
बिछुड़ने के गम से 'हर्ष' बिखरता चला गया ।
___________हर्ष महाजन ।
No comments:
Post a Comment