चंद बेश-कीमती हीरे हमारे आँगन की धूल में पड़े थे
उनको तराशने की इक कोशिश में हम उन पर चढ़े थे ।
चमक तो बहूत निकली उनके तराशे जाने के बाद 'हर्ष'
पर खुद की रौशनी में वो अब भी अनजान से खड़े थे ।
__________________________ हर्ष महाजन ।
उनको तराशने की इक कोशिश में हम उन पर चढ़े थे ।
चमक तो बहूत निकली उनके तराशे जाने के बाद 'हर्ष'
पर खुद की रौशनी में वो अब भी अनजान से खड़े थे ।
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