Monday, April 23, 2012

तू कहती तो इक ताजमहल और खड़ा हो जाता यहाँ-वहाँ

तू कहती तो इक ताजमहल और खड़ा हो जाता यहाँ-वहाँ
खिजाँ बनी तू गुलशन की बने कब्रिस्तां चले तू जहां-जहां ।

__________________________हर्ष महाजन ।

1 comment:

  1. ताजमहल खड़ा है बन कर मुहब्बत की निशानी
    आओ कर दें मुहब्बत के नाम अपनी जिंदगानी

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