..
ज़ुल्फ़ बिखरेगी ख्यालों में लिपट जायेगी,
ज़िक्र होगा तो सवालों में सिमट जायेगी ।
ज़ुल्फ़ सुलझा लो ज़रा फिर न संवर पाएगी
वरना बदली की तरह और छिटक जाएगी ।
________________हर्ष महाजन
ज़ुल्फ़ बिखरेगी ख्यालों में लिपट जायेगी,
ज़िक्र होगा तो सवालों में सिमट जायेगी ।
ज़ुल्फ़ सुलझा लो ज़रा फिर न संवर पाएगी
वरना बदली की तरह और छिटक जाएगी ।
________________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment