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किस तरह मातम मनाऊँ मैं तेरे गुजरने का 'हर्ष'
तेरे बिना तो मेरी आँहें भी मेरा साथ छोड़ देती हैं ।
तुम तो गए मगर कांटे यहीं हैं दास्ताँ सुनाने को,
कब्र पे चढ़ा के फूल वो मुझे बेवफाई को मोड़ देती है ।
_______________हर्ष महाजन ।
किस तरह मातम मनाऊँ मैं तेरे गुजरने का 'हर्ष'
तेरे बिना तो मेरी आँहें भी मेरा साथ छोड़ देती हैं ।
तुम तो गए मगर कांटे यहीं हैं दास्ताँ सुनाने को,
कब्र पे चढ़ा के फूल वो मुझे बेवफाई को मोड़ देती है ।
_______________हर्ष महाजन ।
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