Friday, April 27, 2012

नगमें लिखने में मेरा अब विश्वास खूब जागा है

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नगमें लिखने में मेरा अब विश्वास खूब जागा है
फिर भी मेरा पुराना दोस्त इन्हें सुन क्यूँ भागा है ।
हर मिसरे पर खूब वाह-वाह तो किया करता था
मगर मुझे तो उम्मीद थी कहेगा सोने में सुहागा है ।

_______________हर्ष महाजन ।

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