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रोटी निकल रसोइ से, सबकी भूख मिटाए,
अमीर गरीब कु एक सा, समझ पेट में जाए ।
समझ पेट में जाए, सभी का एक सा दाना
भूखा न रह पाये, पड़े यु रोज़ ही खाना ,
कहे 'हर्ष' कविराय , सलाम इसे कोटि-कोटि,
बिन मेहनत जु खाए , झटक तू उसकी रोटी ।
___________________हर्ष महाजन ।
रोटी निकल रसोइ से, सबकी भूख मिटाए,
अमीर गरीब कु एक सा, समझ पेट में जाए ।
समझ पेट में जाए, सभी का एक सा दाना
भूखा न रह पाये, पड़े यु रोज़ ही खाना ,
कहे 'हर्ष' कविराय , सलाम इसे कोटि-कोटि,
बिन मेहनत जु खाए , झटक तू उसकी रोटी ।
___________________हर्ष महाजन ।
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