...
इस कदर यूँ दर्द मेरा.........आसान कर दिया ,
पर रख लबो पे लब मुझे बदनाम कर दिया |
इन धडकनों में हम जिन्हें थे खुद सुना किये,
पर्दा नशीं था इश्क वो सर-ए-आम कर दिया |
ये किस तरह की सहर जो दिल तड़पने लगा,
खिला हुआ था बाग़ कब्रिस्तान
कर दिया |
किरदार उसका आज........मेरा
नाम ले गया,
शायर था मैं मशहूर पर
गुमनाम कर दिया |
इक वक़्त था ये ज़िंदगी तो थी हसीं मगर ,
ज़ुल्म-ओ-सितम ने आज
बे-जुबान कर दिया |
_______________हर्ष महाजन
इस कदर यूँ दर्द मेरा.........आसान कर दिया ,
पर रख लबो पे लब मुझे बदनाम कर दिया |
इन धडकनों में हम जिन्हें थे खुद सुना किये,
पर्दा नशीं था इश्क वो सर-ए-आम कर दिया |
ये किस तरह की सहर जो दिल तड़पने लगा,
खिला हुआ था बाग़ कब्रिस्तान कर दिया |
किरदार उसका आज........मेरा नाम ले गया,
शायर था मैं मशहूर पर गुमनाम कर दिया |
इक वक़्त था ये ज़िंदगी तो थी हसीं मगर ,
ज़ुल्म-ओ-सितम ने आज बे-जुबान कर दिया |
_______________हर्ष महाजन
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