...
मुझको वो मेरे गुनाहों की सज़ा देते हैं,
पहले देते हैं ज़हर फिर वो दवा देते हैं |
खौफ़ दुनिया का उन्हें इश्क खता कहते हैं,
करके शोला ये बदन फिर क्यूँ हवा देते हैं |
इश्क करते हैं मगर सहर असर होने तक,
पहले देते हैं ज़ख्म फिर क्यूँ दुआ देते हैं |
बे-वफ़ा है वो मगर दिल है कि मानेगा नहीं,
उनके इंतखाब ये ज़ख्मों को हरा देते हैं |
अब तो कहता है 'हर्ष' खुद तू बगावत कर ले,
लोग यूँ ज़िन्द का दीया खुद ही बुझा देते हैं |
_______________हर्ष महाजन
मुझको वो मेरे गुनाहों की सज़ा देते हैं,
पहले देते हैं ज़हर फिर वो दवा देते हैं |
खौफ़ दुनिया का उन्हें इश्क खता कहते हैं,
करके शोला ये बदन फिर क्यूँ हवा देते हैं |
इश्क करते हैं मगर सहर असर होने तक,
पहले देते हैं ज़ख्म फिर क्यूँ दुआ देते हैं |
बे-वफ़ा है वो मगर दिल है कि मानेगा नहीं,
उनके इंतखाब ये ज़ख्मों को हरा देते हैं |
अब तो कहता है 'हर्ष' खुद तू बगावत कर ले,
लोग यूँ ज़िन्द का दीया खुद ही बुझा देते हैं |
_______________हर्ष महाजन
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