...
लोग जज्बों की....यहाँ कदर कहाँ करते हैं,
हम भी फिर दर्द कहाँ अपना जुबां करते हैं |
रूखापन उनका कहीं ज़ख्म न फानी करदे,
इन गहरे ज़ख्मों से हम उम्र धुंआ करते हैं |
हम भी फिर दर्द कहाँ अपना जुबां करते हैं |
रूखापन उनका कहीं ज़ख्म न फानी करदे,
इन गहरे ज़ख्मों से हम उम्र धुंआ करते हैं |
_______________हर्ष महाजन
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