...
मुझको हर मोड़ पर सदमा ही दिया है जालिम,
तूने हर राह पर इम्तिहान ही लिया है जालिम |
दर्द-ए-शायरी में भुलाता ही रहा..तुझको मगर,
ज़ख्म कहने लगे....क्या तूने किया है जालिम |
तूने हर राह पर इम्तिहान ही लिया है जालिम |
दर्द-ए-शायरी में भुलाता ही रहा..तुझको मगर,
ज़ख्म कहने लगे....क्या तूने किया है जालिम |
_____________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment