...
यूँ मोहब्बत तो मुझे दिल पे गुनाह लगता है,
कम्बखत दिल है ये...उसकी ही पनाह लगता है |
नाम लिख लो इक मोहब्बत के दीवानों में कहीं,
दिल तो ज़ख़्मी है मगर उसपे फनाह लगता है |
_____________हर्ष महाजन
यूँ मोहब्बत तो मुझे दिल पे गुनाह लगता है,
कम्बखत दिल है ये...उसकी ही पनाह लगता है |
नाम लिख लो इक मोहब्बत के दीवानों में कहीं,
दिल तो ज़ख़्मी है मगर उसपे फनाह लगता है |
_____________हर्ष महाजन
No comments:
Post a Comment