...
क्या कहूँ उनको जो वो गर्म धुंआ करते हैं,
आके मंजिल के करीब इश्क रवां करते हैं |
जब कभी उठे है आँखों में समंदर सा भंवर,
सूखे अधरों पे खिजाँओं को फिज़ां करते हैं |
आके मंजिल के करीब इश्क रवां करते हैं |
जब कभी उठे है आँखों में समंदर सा भंवर,
सूखे अधरों पे खिजाँओं को फिज़ां करते हैं |
___________हर्ष महाजन
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