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जिसने झेलें हैं वतन के लिए सरहद पे सितम,
अब तलक ज़ख्म वो.....ओरों के सिये जाते हैं |
अब सियासत भी खडी..उनपे दीवारों की तरह,
पाँव किरदारों पे रख........तगमें लिए जाते हैं |
___________________हर्ष महाजन
जिसने झेलें हैं वतन के लिए सरहद पे सितम,
अब तलक ज़ख्म वो.....ओरों के सिये जाते हैं |
अब सियासत भी खडी..उनपे दीवारों की तरह,
पाँव किरदारों पे रख........तगमें लिए जाते हैं |
___________________हर्ष महाजन
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